Ram Raksha Stotra PDF: Shri Ram Raksha Stotra is a famous religious mantra that praises Lord Rama. Regular recitation of this mantra brings protection, blessings, and prosperity. Our website provides the facility to download the Ram Raksha Stotra PDF file.
श्री राम रक्षा स्तोत्र पीडीएफ (Shri Ram Raksha Stotra PDF)
श्री राम रक्षा स्तोत्र एक प्रसिद्ध धार्मिक मंत्र है, जो भगवान राम की स्तुति करता है। इस मंत्र के नियमित पाठ से सुरक्षा, आशीर्वाद, और कल्याण प्राप्त होते हैं। हमारी वेबसाइट पर “राम रक्षा स्तोत्र पीडीएफ” और “श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में” डाउनलोड करने की सुविधा उपलब्ध है।
File Name | Ram Raksha Stotra PDF |
File Type | |
File Size | 129kb |
Source | dohe.in |
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राम रक्षा स्तोत्र पीडीएफ के लाभ (Benefits of Ram Raksha Stotra PDF):
- सुलभता : पीडीएफ प्रारूप में उपलब्ध राम रक्षा स्तोत्र को किसी भी समय और कहीं भी पढ़ा जा सकता है।
- ऑफ़लाइन उपयोग : एक बार डाउनलोड करने के बाद, इसे बिना इंटरनेट के उपयोग किया जा सकता है।
- विभिन्न उपकरणों पर संगतता : पीडीएफ प्रारूप अधिकांश स्मार्टफ़ोन, टैबलेट, और कंप्यूटर पर सुलभ होता है।
- प्रिंट सुविधा
राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra PDF): एक शक्तिशाली सुरक्षा और आशीर्वाद के लिए मंत्र (Ram Raksha Stotra: A Powerful Mantra for Protection and Blessings)
राम रक्षा स्तोत्र एक प्राचीन और सम्मानित संस्कृत स्तोत्र है, जो भगवान श्रीराम को समर्पित है। यह धार्मिक ग्रंथों में स्थान पाने वाला एक शक्तिशाली मंत्र है, जो व्यक्ति के जीवन की सुरक्षा और कल्याण के लिए आशीर्वाद देता है। आइए हम इस स्तोत्र के बारे में विस्तार से जानें, जिसका स्रोत संस्कृत वाङ्मय में प्राप्त होता है।
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राम रक्षा स्तोत्र का महत्व (Shri Ram Raksha Stotra Ki Mahatv)
राम रक्षा स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में विपरीत परिस्थितियों से बचाव, भय और शत्रु से सुरक्षा, तथा मानसिक शांति मिलती है। इस स्तोत्र के पाठ का विशेष महत्व है, जो व्यक्ति की आत्मीय शक्ति को बढ़ाता है।
राम रक्षा स्तोत्र के लेखक (Shri Ram Raksha Stotra ke lekak)
राम रक्षा स्तोत्र के लेखक के बारे में विद्वानों की विभिन्न मतभेद हैं। कुछ विद्वान इसे ऋषि बुध कालिदास की रचना मानते हैं, जबकि अन्य विद्वान इसे वेद व्यास की रचना मानते हैं।
राम रक्षा स्तोत्र के फायदे (Shri Ram Raksha Stotra ke fayde)
- सुरक्षा और निर्भयता : इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति को सुरक्षा और निर्भयता प्राप्त होती है।
- आत्मीय शक्ति : इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति की आत्मीय शक्ति में वृद्धि होती है।
- मानसिक शांति : इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ : इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति की स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- विपत्ति निवारण : इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति की समस्याओं और विपत्तियों का निवारण होता है।
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राम रक्षा स्तोत्र के पाठ की विधि (Shri Ram Raksha Stotra paat ki vidi)
- स्थान : शुद्ध और पवित्र स्थान पर बैठकर इस स्तोत्र का पाठ करें।
- समय : सुबह या शाम को ध्यान और श्रद्धा के साथ इस स्तोत्र का पाठ करें।
- माला : रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करके इस स्तोत्र का जप करें।
विनियोग:
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः ।
श्री सीतारामचंद्रो देवता ।
अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः ।
श्रीमान हनुमान कीलकम ।
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः ।
अथ ध्यानम्:
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं,
पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम ।
वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम्नी,
रदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम ॥
राम रक्षा स्तोत्रम्:
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ॥2॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥3॥
रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥
कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥
जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ॥8॥
जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ॥9॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥10॥
पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन ।
नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत ।
अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥14॥
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ॥16॥
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ॥20॥
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥
रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥
इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥
रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ॥25॥
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं,
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं,
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ॥26॥
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥
श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम,
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥
श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि,
श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि,
श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी,
रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं,
जाने नैव जाने न जाने ॥30॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥31॥
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ॥34॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥35॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥36॥
रामो राजमणिः सदा विजयते,
रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता,
निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं,
रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः,
सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः ॥37॥
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥
Ram Raksha Stotra PDF Image
राम रक्षा स्तोत्र पीडीएफ (Ram Raksha Stotra PDF) और श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो व्यक्ति के जीवन में सुरक्षा और आशीर्वाद लाता है। हमारी वेबसाइट से इन पीडीएफ फ़ाइलों को आसानी से डाउनलोड करें और अपने धार्मिक अभियान को आगे बढ़ाएँ। राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में एक महत्वपूर्ण धार्मिक मंत्र है, जो व्यक्ति के जीवन में सुरक्षा और आशीर्वाद को बढ़ाता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति की आत्मीय शक्ति, मानसिक शांति और स्वास्थ्य में सुधार होता है।