नवग्रह मंत्र का सम्पूर्ण परिचय और नवग्रह मंत्र का उपयोग
नवग्रह मंत्र का सम्पूर्ण परिचय और नवग्रह मंत्र का उपयोग

नवग्रह मंत्र का सम्पूर्ण परिचय और नवग्रह मंत्र का उपयोग

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नवग्रहों का मंत्र विभिन्न संस्कृत ग्रंथों और ज्योतिष शास्त्रों में प्राप्त होता है, जिन्हें व्यक्ति अपनी जन्मकुंडली के अनुसार जपने का उपयोग करता है, ताकि वह अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त कर सके। नवग्रह मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को ग्रहों की शांति मिलती है और उनके अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। यदि व्यक्ति किसी ग्रह के दोष से पीड़ित है, तो उन्हें उस ग्रह के मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए। इसके अलावा, ग्रहों के शांति के लिए यज्ञ, दान, और व्रत आदि भी किए जा सकते हैं।

नवग्रह शांति मंत्र 

नवग्रहों के शांति मंत्र जीवन को सुखमय और समृद्धिपूर्ण बनाने के लिए जपा जाता है। इन मंत्रों का नियमित जाप करने से व्यक्ति को ग्रहों की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। यहां नवग्रह शांति मंत्र हैं:

ग्रहमंत्र
सूर्यॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
चंद्रॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः।
मंगलॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
बुधॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
गुरुॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।
शुक्रॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।
शनिॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
राहुॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
केतुॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः।
नवग्रह शांति मंत्र
नवग्रह शांति मंत्र

यह मंत्र जाप व्यक्ति को नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है और उसके जीवन को सुख-शांति से भर देता है।

आप नवग्रह मंत्र के बारे विकिपीडिया की इस पोस्ट को चेक कर सकते हे।

नवग्रह शांति गायत्री मंत्र

नवग्रह शांति के लिए गायत्री मंत्र भी बहुत शक्तिशाली होता है। यह मंत्र व्यक्ति को नवग्रहों के प्रति आदर्श भावना और शांति प्रदान करने में सहायक होता है। इस मंत्र का जाप नवग्रहों की शांति और समृद्धि के लिए किया जा सकता है। गायत्री मंत्र का जाप नियमितता से किया जाए, और यह ध्यान, शांति, और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने में मदद करता है। यहां नवग्रह शांति गायत्री मंत्र है:

सूर्य गायत्री मंत्र 
ॐ  भास्कराय विद्मिहे महातेजाय धीमहि।
तन्नो: सूर्य: प्रचोदयात।।

चंद्र गायत्री मंत्र 
ॐ  क्षीरपुत्राय विद्मिहे मृतात्वाय धीमहि।
तन्नम्चंद्र: प्रचोदयात।।

भौमा गायत्री मंत्र
ॐ  अंगारकाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि।
तन्नो: भौम प्रचोदयात।।

बुध गायत्री मंत्र 
ॐ  सौम्यरुपाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि।
तन्नो: बुध: प्रचोदयात।।

बृहस्पति गायत्री मंत्र 
ॐ  गुरुदेवाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि।
तन्नो: गुरु: प्रचोदयात।।

शुक्र गायत्री मंत्र 
ॐ  भृगुसुताय विद्मिहे दिव्यदेहाय धीमहि।
तन्नो: शुक्र: प्रचोदयात।।

शनि गायत्री मंत्र 
ॐ  शिरोरुपाय विद्मिहे मृत्युरुपाय धीमहि।
तन्नो: सौरि: प्रचोदयात।।

राहु गायत्री मंत्र 
ॐ  शिरोरुपाय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि।
तन्नो: राहु: प्रचोदयात।।

केतु गायत्री मंत्र 
ॐ  गदाहस्ताय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि।
तन्नो: केतु: प्रचोदयात।।

नवग्रह पूजा के लाभ

नवग्रह पूजा का महत्व ज्योतिष शास्त्र में विशेष रूप से बताया गया है और इसके कई लाभ हैं। नवग्रह पूजा करने से व्यक्ति अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि को बढ़ा सकता है। यहां नवग्रह पूजा के कुछ लाभ हैं:

  1. ग्रहों की शांति: नवग्रह पूजा करने से ग्रहों की शांति होती है और उनके अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
  2. जीवन में सुख-शांति: नवग्रह पूजा व्यक्ति को जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्रदान करने में मदद कर सकती है।
  3. व्यापार और नौकरी में सफलता: यह पूजा व्यापार और नौकरी में सफलता प्रदान करने में सहायक हो सकती है और आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकती है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार: नवग्रह पूजा करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है और शारीरिक कठिनाइयों से मुक्ति मिल सकती है।
  5. बुराईयों से मुक्ति: नवग्रह पूजा से व्यक्ति अपनी बुराईयों और पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
  6. मानसिक शक्ति का सुधार: यह पूजा व्यक्ति को मानसिक शक्ति में सुधार कर सकती है और उसे स्थितियों का सामना करने के लिए मजबूत बना सकती है।

नवग्रह पूजा को विधिवत रूप से करने से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और समृद्धि महसूस कर सकता है।

आप प्रभु श्री राम की इस श्री राम वंदना स्तुति और श्री राम तारक मंत्र की पोस्ट को बी पड़ सकते हे।

नवग्रह मंत्र का जाप कैसे करें?

नवग्रह मंत्र का जाप करने के लिए निम्नलिखित कदमों का अनुसरण किया जा सकता है:

  1. स्थान चयन: नवग्रहों के मंत्रों का जाप सामंजस्यपूर्णता के साथ किया जाना चाहिए। एक शांत, शुद्ध और धार्मिक स्थान का चयन करें जहां आप नियमित रूप से बैठ सकते हैं।
  2. समय चयन: नवग्रह मंत्र का जाप विशेष समयों पर करना उत्तम होता है, जैसे सूर्योदय या सूर्यास्त के समय, गुरुवार को बृहस्पतिवार को और इसी तरह किसी ग्रह के दिन को चयन करें।
  3. शुद्धि की तैयारी: शुरुआत में पूजा करते समय, हाथ धोकर और धूप-दीप के साथ अपने आत्मा की शुद्धि करें।
  4. माला का उपयोग: मंत्रों की जप के लिए माला का उपयोग करें। हर ग्रह के मंत्र का जाप एक जाप में कम से कम 108 बार करना चाहिए।
  5. मंत्र उच्चारण: पूजा के समय आप बैठे होते हुए ध्यानपूर्वक उच्चारित मंत्र को सुने और बोलें। ध्यान और भक्ति भावना के साथ मंत्रों को जप करें।
  6. नियमितता: नवग्रह मंत्रों का नियमित रूप से जाप करना अधिक प्रभावी होता है। प्रतिदिन एक ही समय और स्थान पर इसे अभ्यासित करना चाहिए।
  7. प्रणाम और कोटि-कोटि नमन: मंत्र जाप के बाद नवग्रहों की पूजा करें और अन्न, फल, और दान करें। अन्त में, ग्रहों को श्रद्धापूर्वक नमन करें और उनसे अपनी इच्छाएं मांगें।

नवग्रह मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति ग्रहों की कृपा को प्राप्त करता है और अपने जीवन को सुखमय बनाने में सफल होता है।

नवग्रह स्तोत्र कितनी बार पढ़ना चाहिए?

नवग्रह स्तोत्र को पढ़ने की संख्या निर्धारित नहीं है और इसमें कोई निश्चित आदत नहीं है। हालांकि, ज्योतिष और आध्यात्मिक गुरुओं के अनुसार, इसे नियमित और योग्य समय पर पढ़ने से अधिक प्रभावी हो सकता है।

व्यक्ति इसे अपनी सुबह या शाम की पूजा का हिस्सा बना सकता है। यह प्रतिदिन, १०८ बार या तीन माह के एक विशेष कालांतर में पढ़ सकता है।

महत्वपूर्ण है कि स्तोत्र को पढ़ते समय व्यक्ति में आद्यता और श्रद्धा होनी चाहिए। इसके साथ ही, ग्रहों के शांति के लिए अन्य उपायों का भी ध्यान रखना चाहिए जैसे कि मंत्र जाप, पूजा, और योग।

समापन

नवग्रहों के मंत्र, गायत्री मंत्र, और पूजा का नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय, शांतिपूर्ण, और समृद्धिपूर्ण बना सकता है। इन मंत्रों का जाप और नवग्रह पूजा करने से ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है और व्यक्ति को शुभ फल प्रदान हो सकता है। यह अनुष्ठान व्यक्ति को धार्मिकता, मानवता, और आत्मा के साथ संबंध बनाए रखने में सहायक होता है। नवग्रह पूजा के लाभों में से एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में सफलता प्रदान करने में मदद कर सकती है, से लेकर स्वास्थ्य सुधारने, धन समृद्धि में मदद करने तक। इस प्रकार, नवग्रह पूजा एक सकारात्मक और आध्यात्मिक अनुष्ठान है जो व्यक्ति को उच्चतम जीवन दर्जा की प्राप्ति में सहायक हो सकता है।

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